Ramnik Saluja A
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koshish mein koshish hai
क्यूँ उस कड़वे घूँट को पीना
क्यूँ अपने आप को किसी से कम समझना क्यूँ उस बुरे क्षण का इंतेज़ार करना क्यूँ सिर्फ़ सोचते रहना कि मैं भी करूँगी… कि मैं भी जीतूँगी। एक बार आचार्य चाणक्य किसी नदी के किनारे अपने शिष्यों को दिक्षा से रहे थे,दिक्षा खत्म होने के बाद आचार्य चाणक्य ने उन सभी विद्यार्थियों की परीक्षा लेनी चाही, जैसा कि हर गुरु चाहता है कि जो उसने सिखाया है,उसे कितनेStudents सीख पाए हैं।तो आचार्य ने सभी को बाँस की एक बड़ी सी टोकरी दी और कहा कि जाओ और इस टोकरी में पानी भरकर लाओ ।अब ये बात सुनकर कुछ विद्यार्थियों के तोते उड़ गए कि भला ऐसा कैसे संभव है। इस टोकरी में तो पानी भरते ही निकल जाएगा.... लेकिन गुरु का आदेश था उसका पालन उनको करना ही था सभी शिष्य अपने अपने काम में लग गए ।कोई पानी भरता तो वापस निकल जाता और कोई सिर्फ उनको देखता रहता कि जब ये भर ही रहे हैं तो मैं क्या उखाड़ लूंगा... इस तरह लगभग सभी शिष्य खाली टोकरी के साथ लौट आये,लेकिन एक शिष्य ऐसा था जो,सोचने लगा कि मेरे गुरु इतने बुद्धिमान हैं बेवजह का काम तो दे नहीं सकते। वह बार बार पानी भरता रहा और बार बार पानी रिस रहा था लेकिन वह रुका नहीं,लगातार धैर्य के साथ अपना काम करता रहा । अब जैसा कि हम जानते हैं कि बाँस को जितना हम पानी मैं डुबोते हैं,वह उतनी ही फूलती जाती है और अंततः उस बाँस की टोकरी के सारे छिद्र भर गए और अब उसकी टोकरी पानी से भर चुकी थी ,हालांकि उसको यह करते करते शाम हो चुकी थी और वह जैसे ही आचार्य के पास पानी से भरी टोकरी लेकर पहुँचा तो एक बार फिर से सारे विद्यार्थियों के तोते उड़ गए कि भला ये कैसे संभव है। और आचार्य ने उस शिष्य की सफलता का कारण सभी शिष्यों को बताया कि ये विद्यार्थी क्यूँ सफल हुआ ? क्योंकि ये अपना काम लगन और धैर्य के साथ लगातार करता गया और ये सफल हुआ । बस यही सफलता का मंत्र है ... अगर आप भी अपने जीवन में सफल होना चाहते हो तो आपको इस कहानी से तीन बातें याद रखनी होंगी- १.लगन यानी focus २.धैर्य यानी patience ३.लगातार मेहनत यानी कि consistency यही कारण है कि जहाँ एक शुरुआत हुई थी सिर्फ़ कुछ वजन कम करने के लिए….आज मैं खुद खड़ी हूँ एक कोच बनकर। आसान नहीं था मगर नामुमकिन भी नहीं॥ “कोशिश कर हाल निकलेगा आज नहीं तो कल निकलेगा” ॥
क्यूँ अपने आप को किसी से कम समझना क्यूँ उस बुरे क्षण का इंतेज़ार करना क्यूँ सिर्फ़ सोचते रहना कि मैं भी करूँगी… कि मैं भी जीतूँगी। एक बार आचार्य चाणक्य किसी नदी के किनारे अपने शिष्यों को दिक्षा से रहे थे,दिक्षा खत्म होने के बाद आचार्य चाणक्य ने उन सभी विद्यार्थियों की परीक्षा लेनी चाही, जैसा कि हर गुरु चाहता है कि जो उसने सिखाया है,उसे कितनेStudents सीख पाए हैं।तो आचार्य ने सभी को बाँस की एक बड़ी सी टोकरी दी और कहा कि जाओ और इस टोकरी में पानी भरकर लाओ ।अब ये बात सुनकर कुछ विद्यार्थियों के तोते उड़ गए कि भला ऐसा कैसे संभव है। इस टोकरी में तो पानी भरते ही निकल जाएगा.... लेकिन गुरु का आदेश था उसका पालन उनको करना ही था सभी शिष्य अपने अपने काम में लग गए ।कोई पानी भरता तो वापस निकल जाता और कोई सिर्फ उनको देखता रहता कि जब ये भर ही रहे हैं तो मैं क्या उखाड़ लूंगा... इस तरह लगभग सभी शिष्य खाली टोकरी के साथ लौट आये,लेकिन एक शिष्य ऐसा था जो,सोचने लगा कि मेरे गुरु इतने बुद्धिमान हैं बेवजह का काम तो दे नहीं सकते। वह बार बार पानी भरता रहा और बार बार पानी रिस रहा था लेकिन वह रुका नहीं,लगातार धैर्य के साथ अपना काम करता रहा । अब जैसा कि हम जानते हैं कि बाँस को जितना हम पानी मैं डुबोते हैं,वह उतनी ही फूलती जाती है और अंततः उस बाँस की टोकरी के सारे छिद्र भर गए और अब उसकी टोकरी पानी से भर चुकी थी ,हालांकि उसको यह करते करते शाम हो चुकी थी और वह जैसे ही आचार्य के पास पानी से भरी टोकरी लेकर पहुँचा तो एक बार फिर से सारे विद्यार्थियों के तोते उड़ गए कि भला ये कैसे संभव है। और आचार्य ने उस शिष्य की सफलता का कारण सभी शिष्यों को बताया कि ये विद्यार्थी क्यूँ सफल हुआ ? क्योंकि ये अपना काम लगन और धैर्य के साथ लगातार करता गया और ये सफल हुआ । बस यही सफलता का मंत्र है ... अगर आप भी अपने जीवन में सफल होना चाहते हो तो आपको इस कहानी से तीन बातें याद रखनी होंगी- १.लगन यानी focus २.धैर्य यानी patience ३.लगातार मेहनत यानी कि consistency यही कारण है कि जहाँ एक शुरुआत हुई थी सिर्फ़ कुछ वजन कम करने के लिए….आज मैं खुद खड़ी हूँ एक कोच बनकर। आसान नहीं था मगर नामुमकिन भी नहीं॥ “कोशिश कर हाल निकलेगा आज नहीं तो कल निकलेगा” ॥
Ramnik Saluja A
Thank you
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